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ग़ज़ल

जब हम उनका नाम पुकारा करते हैं,
सब कहते हैं शेर सुनाया करते हैं।

सहराओं में फूल खिलाया करते हैं,
आशिक़ है ये जाने क्या क्या करते हैं।

मंदिर मस्ज़िद साथ में जाते हैं दोनों,
वो हमको हम उनको माँगा करते हैं।

दर्द तड़प ये प्यार मुहब्बत के किस्से,
ख़ारे आँसू को भी मीठा करते हैं।

भोले भाले कितने भी हो ये लड़के,
मजनू है सब लैला लैला करते हैं।

लाखों गोपी आगे पीछे फिरती है,
फिर भी मोहन राधा राधा करते हैं।

शिवम शर्मा