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हुनर

बात ये नहीं कि मुझे पर नहीं हैं
असल में उड़ पाने का हुनर नहीं है।।

तुम्हें मलाल ये कि मंज़िल नहीं मिली
हमें तो लौट आने को घर नहीं है।

गम, आँसू, अज़ाब और ख़्वाब भी हैं
लिखने को महज़ गज़ल भर नहीं है।

-असीम श्रीवास्तव