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सपने में प्रपोज़ल

सरस्वती पूजा की तैयारी पूरी हो गयी थी । पंडित जी आ चुके थे बाकी था तो बस कुलपति जी का आना.
पूरा हॉस्टल फूलों से सज़ा हुआ था कॉमन हॉल में बैठे छात्र अपने अतिथि के आने की प्रतीक्षा कर रहे थे।
अचानक से फोन बजता है “कहां हो..?”
अविजित जब तक कुछ समझ पाता तब तक प्रश्नों की झड़ी लग गयी,
“कितनी देर से तुम्हारा फोन ट्राई कर रही हूं लग क्यों नही रहा है..?
तुमको तो मेरी जरा सी भी फिक्र नही है ना..?
घंटे भर से वेट कर रही हूं और तुम हो कि अजगर जैसे बिस्तर पर पड़े होंगे अभी!
मैंने कितनी बार कहा कि सुबह दस बजे मुझे नेसकैफ़े पर मिलना पर तुम मेरी कहां सुनने वाले!
इन निरुत्तर प्रश्नों को सुनकर अविजित दौड़ा दौड़ा नेसकैफ़े पहुंचा।
आ गए ना..
तुम तो सुबह सुबह खामखां परेशान हो जाती हो! चलो कहां चलना है..?
अविजित को बेफ़िक्र देखकर सिमी ने गुस्से में कहा “देखो एक तो तुम देर से आये हो ऊपर से जल्दबाजी में हो.. मैंने कहा था ना कि तुमको सरप्राइज दूंगी, तो वेट करो! पर वो तो तुम कर नही सकते” अब चलो ‘कैफ़े-26’ ।
गुस्से पर कंट्रोल कर सिमी स्कूटी पर बैठ गयी और माहौल हल्का करने की कोशिश में अविजित से बातें करने में व्यस्त हो गयी,
तुमको पता है अवि ! आज का दिन मेरे लिए बहुत स्पेशल होता है और मैं इसी दिन तुमको सरप्राइज देंना चाहती थी पर तुम हमेशा ज़िद पर उतर आते थे सो आज तुम्हारी मनोकामना पूरी हुयी। पुराने दिनों को याद करते हुए सिमी बोले जा रही थी .. अवि! जब मैं न्यू कैंपस में आयी थी तो यहां मन ही न लगता था पर तुम जब से मिले मैं बिल्कुल बदल सी गयी हूं, ये कैंपस अब मेरी ज़िंदगी का हिस्सा बन गया है, हो भी क्यूं न तुम्हारे जैसा प्यारा दोस्त जो मिला है।

अपनी तारीफें सुन अविजित का मन सातवें आसमान पर था उसको लग रहा था आज भगवान ने उसकी सुन ली है और इसी वेलेंटाइन वीक पर सरस्वती पूजा के दिन ही उसको प्रपोजल सरप्राइज के रूप में मिल जाएगा जिसे वह चाह कर भी कभी सिमी से बयां न कर सका था। रास्ते मे पड़ने वाले मंदिर पर वह सवा किलो लड्डू चढ़ाने की मनौती कर चुका था । अपनी आने वाली खुशी में व्यस्त अविजित के मन ही मन लड्डू फूट रहे थे अब वह आगे की सोच रहा था कि कैफ़े-26 पहुंचते ही उसके जीवन मे नये रंग भर जाएंगे फिर जितनी भावनाओं को वह हृदय में समेटे रखता था उसे सिमी के साथ निःसंकोच साझा कर सकेगा, ख्वाबों में डूबे अविजित के कानों में आवाज़ आती है “ओ शिट!! मैं तो भूल ही गयी थी.. अवि, इंजीनियरिंग कॉलेज पर जरा इक मिनट के लिए रुकना वो ग़ुलाब के फूलों का गुलदस्ता लेना है” सुनते ही अविजित की खुशी में चार चांद लग गया वह तुरंत फूल वाली दूकान पर रुका जहां सिमी ने अपनी पसंद का गुलदस्ता लिया और फिर स्कूटी से दोनों चल दिये ।
कैफ़े-26 पहुंचकर सिमी अविजित के साथ अंदर गयी वहां की रंगत आज कुछ और थी चारों ओर सजावटी फूलों और गुब्बारों का समूह था जो कि कलरफुल लाइटों से और भी खूबसूरत लग रहा था जैसे आसमान में इंद्रधनुषी नज़ारा हो। अविजित आज खुद को धन्य पा रहा था उसके चेहरे पर खुशी ऐसे चमक रही थी जैसे इतनी खुशी जीवन मे पहली बार मिली हो वह भगवान को बार बार धन्यवाद बोल रहा था की जितना मांगा उससे भी ज्यादा ऊपर वाले ने उसको दिया।
इन्ही सतरंगी खुशियों के बीच से आवाज़ आती है “सिमी….” अविजित आश्चर्य से इधर उधर देखने लगता है कि तब तक दोबारा आवाज़ आती है “सिमी….” जबतक अविजित कुछ समझता तब तक सिमी बिना प्रतीक्षा किये बोलती है “सनी.. कहां छुपे हो देखो ना!! तुम्हारे लिए सरप्राइज लायी हूं” सनी दौड़ कर आता है सिमी को गले लगा लेता है और ‘हैप्पी बर्थडे जान..’ बोलते हुए बर्थडे विश करता है सिमी परिचय कराते हुए सनी से कहती है ये रहा तुम्हारा सरप्राइज मेरा प्यारा दोस्त अवि इसी से मिलाने का वादा मैंने तुमसे किया था अपने बर्थडे पर ।
अविजित को गहरा सदमा लग गया जैसे वर्षों की चैतन्यता उससे विमुख हो गयी हो और वह अचेत पड़ा हो । इधर कुलपति जी आ गये हैं पूजा में बैठे है पंडित जी मंत्रोच्चारण कर रहे और अविजित का दोस्त उसको पूजा में बुलाने के लिए फोन कर रहा पर उसको बार बार जवाब मिलता “आपके द्वारा डायल किया गया नंबर अभी स्विच ऑफ है कृपया थोड़ी देर बाद कोशिश करें।

-सुनील शोभाराम मौर्य