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मांझी

हवाओं ने किया तूफान का इशारा है
न साथ है मांझी न पास में किनारा है।

बस कोई है जिसे अपना कह सकें
वो महबूब नहीं, बस जीने का सहारा है।

मैं कैद जुगनुओं को क्यों करूँ भला
जब मेरी मुट्ठी में बंद इक सितारा है।

देखकर कतरा ठुकरा दिया ‘असीम’
और जो समंदर चुना वो खारा है।

-असीम श्रीवास्तव