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बाज़ार | 2

देख बेटा, इ बाजार है।
इहां जेतना टारगेट पूरा करोगे न ओतने ज्यादा मिलता जाएगा।
बस काम से मतलब है इहां सबको।
तुम खाओ या मत खाओ इ से केकरो फर्क पड़े वाला नहीं है…

पर तुमको तो कम से कम अपन शरीर के बारे में सोचना चाहिए।
आज जवानी के जोश में भुखे-प्यासे काम कर ले रहे हो
लेकिन कल जब शरीर थक जाएगा न
त इहे बाजार लात मार के बाहर निकाल देगा।

रमेश की आँखें नम हो आई थीं।
उसे लगा कि कुछ देर और बैठा रहा तो रोने लगेगा।

इसलिए, हां आंटी आप सही कह रही हैं, आगे से ध्यान रखूंगा-
कहते हुए वह दुकान से बाहर निकलने लगा।

और सुनो आज से केतना भी रात काहे न हो जाए जब तक तू खाना खाने नहीं आएगा हम दुकान नहीं बढ़ाएंगे-
आंटी ने अंतिम बात यही कही |

– राहुल रंजन