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तुम लौटना मत

दिल के उस हिस्से में जहाँ अहसास रहते हैं,
अगर लकवा मार जाए,
और अहसास विकृत पैदा हों तब,
मैं तुमको आवाज़ दूंगा,
तुम लौटना मत,

तुम लौटना मत तब भी,
जब मैं तुम्हारे साथ चलता हुआ,
तुमसे पीछे छूट जाऊँ,
और अपने लहूलुहान पैरों से,
तुम्हें पकड़ने की नाकाम कोशिश करूँ,
मैं तब तुमको आवाज़ दूंगा, लेकिन
तुम लौटना मत,

तुम लौटना मत,
क्योंकि मुहब्बत की गली में,
गुम हुआ इश्क़ अगर लौट कर आये,
तो उसे इश्क़ नहीं कहते,
और अगर तुम्हारे ना लौटने से,
हमारा इश्क़ बचा रहे,
तो तुम लौटना मत.

आकाश सिकरवार