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तुम्हारे जाने के बाद

हां, तुम्हारा मुझको जाना खल तो रहा है
लेकिन अब किसी को खोने का डर नहीं होता
हां, अब शामें बिताने को कोई साथ तो नहीं
लेकिन खुद से ज्यादा अब कोई जरूरी भी नहीं होता
फिल्में देखने अब अक्सर अकेले ही चला जाता हूं
लेकिन लेट नाईट कैब करने का अब टेंशन नहीं होता
हां, ऑफिस में दिल नहीं लगता है तुम्हें याद कर
लेकिन, अब जल्दी घर जाने का मन भी नहीं होता
गैरों के संग देख कर तुम्हें दिल जलता तो है
लेकिन अब टोकने का तुम्हें मेरा हक नहीं होता..

  • कीर्ति देव पांडेय