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एक उम्र ‘गुस्ताखियों’ के लिए

एक उम्र ‘गुस्ताखियों’,

के लिए भी
 होनी चाहिए…
ये कम्बक्त जिंदगी तो..,
बस…
‘अदब और लिहाज’
में ही गुजर गई।

– कंचना खपरे