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अहसास

तुम इतनी सहज नहीं
जितने कि पापा
जितना कि मेरा दोस्त
तुमसे बात करने से पहले सोचना पड़ता है
उतना जितना कि घर जाने से पहले
उतना जितना कि किताब पढ़ते वक्त
पर तुम ढल जाती हो
हर उस लड़की में जिसे मैं देखता हूं
हर उस किरदार में जिसे मैं पढ़ता हूं
पर तुम समझ नहीं आती हो
जितना कि गणित के सवाल
जितना कि जीवन और मृत्यु का जुड़ाव
पर तुम अहसास हो
सुबह की पहली किरण की
मेरे अंदर समाए मेरे जीवन की

-रजत अभिनय