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मिलो हम से

मिलो हम से
किसी उगती हुई सुबह में
या ढलती शाम में आकर
चमकती रात के पिछले पहर
किसी खामोश साअत में
निगाहें सो रही हों जब
समाअतें थक चुकी हों जब
थके हारे हुए ख्वाबों की
ताबीरें खिली हों जब
मिलो हम से
कि सांसें डूब जाएं
और हम वापस ना आ पाएं ।

नजमू सहर